Thursday, 1 September 2011

गुरु जन्मोत्सव - गुरु के मार्गदर्शन में मिलती है सफलता

-शंकराचार्य मठ में गुरु जन्मोत्सव पर गिरीशानंदजी बोले
इंदौर. (31 Aug 2011)
शिष्य के जीवन को प्रकाशमान बनाने के लिए सच्चा गुरु कुम्भकार की तरह व्यवहार करता है। वह शिष्य को अंदर से सहारा देता है लेकिन ऊपर से चोट करता है। इस तरह गुरु एक सुंदर मटके की तरह शिष्य के जीवन को गढ़ता है। सद्गुरु अपने शिष्य को अपने से भी श्रेष्ठ बनाने की कोशिश करता है। इसी तरह शिष्य को भी गुरु के बताए मार्ग पर चलकर जीवन को सफल बनाना चाहिए।
यह बात पीथमपुर बायपास रोड नैनोद स्थित शंकराचार्य मठ पर मठ के प्रभारी ब्रह्मचारी श्री गिरीशानंद महाराज ने गुरु की महिमा पर व्याख्यान के दौरान कही। वे शारदा एवं ज्योतिष पीठाधीश्वर जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी श्री स्वरूपानंदजी सरस्वती महाराज के 88वें जन्मोत्सव पर आयोजित समारोह में बोल रहे थे। इस अवसर पर शंकराचार्यजी के चित्र एवं पादुकाओं का पूजन-अर्चन किया गया। पीठ पंडित संजय शास्त्री ने मंत्रोच्चार किए। आरती के बाद प्रसाद वितरण हुआ। मठ और पूजा-स्थल को फूलों से सजाया गया था। इस अवसर पर शंकराचार्य भक्त मंडल के सर्वश्री कृष्णा पटेल, प्रतिपालसिंह टुटेजा, निकुंज श्रीवास्तव, जीतू बिजौरिया, गणेश राठौर, राकेश बड़ौदिया आदि ने गुरु भक्ति पर आधारित भजन प्रस्तुत किए।

Sunday, 7 August 2011

तुलसीदास ने दी मर्यादा में रहने की सीख

शंकराचार्य मठ में मनी तुलसी जयंती
6-08-2011
इंदौर। गोस्वामी तुलसीदासजी ने भगवान राम के आदर्श चरित्रों को रखकर समाज और देश में मर्यादा में रहने की शिक्षा दी है। रामायण पाठ  का फल तभी प्राप्त होता है जब उनके आदर्श चरित्रों को जीवन में उतारें।
यह बात शंकराचार्य मठ (नैनोद) में तुलसी जयंती पर ब्रह्मïचारी गिरीशानंद महाराज ने कही। उन्होंने कहा तुलसीदासजी ने वेद-पुराणों के क्लिष्ट अर्थ को रामचरित मानस के माध्यम से समझाया है। तुलसीकृत रामायण जीवन जीने की कला सिखाती है। इसके पहले मठ में तुलसीदासजी और रामचरित मानस का पूजन कर आरती की गई। शंकराचार्य भक्त मंडल के प्रतिपालसिंह टुटेजा, यौवन पटेल, दरियावसिंह चौधरी, घनश्याम राठौर, जीतू ठाकुर आदि ने व्यासपीठ का पूजन किया।

Friday, 22 July 2011

शंकराचार्य मठ में भागवत ज्ञान यज्ञ

जन-जन में जनार्दन
नैनोद.
गोपियों की समाधि चेतन समाधि है। वे खुले कान और खुली आंखों से ही कृष्ण के ध्यान में तन्मय हो जाती हैं। जहां-जहां उनकी दृष्टि जाती है कृष्ण के दर्शन होते हैं। 'यत्र-यत्र मनोयाति तत्र-तत्र माधव:...।Ó समाधि ऐसी ही सरल होनी चाहिए। उद्धव की निर्गुण ब्रह्मï की उपासना की बात सुनकर गोपियों ने कहा था हम तो सभी में कृष्ण देखते हैं, क्योंकि जन-जन में जनार्दन हैं।
शंकराचार्य मठ (नैनोद) में आयोजित भागवत ज्ञानयज्ञ में सोमवार को ये बात ब्रह्मïचारी गिरीशानंदजी ने कही। शंकराचार्य भक्त मंडल के यौवन पटेल, राधेश्याम राठौर, भगवानसिंह राठौर, प्रतिपालसिंह टुटेजा, जीतू बिजौरिया और राकेश बड़ौदिया ने व्यासपीठ का पूजन किया। शुरुआत में पीठ पंडित संजय शास्त्री ने वैदिक मंत्रोच्चार किया।