-शंकराचार्य मठ में गुरु जन्मोत्सव पर गिरीशानंदजी बोले
इंदौर. (31 Aug 2011)
शिष्य के जीवन को प्रकाशमान बनाने के लिए सच्चा गुरु कुम्भकार की तरह व्यवहार करता है। वह शिष्य को अंदर से सहारा देता है लेकिन ऊपर से चोट करता है। इस तरह गुरु एक सुंदर मटके की तरह शिष्य के जीवन को गढ़ता है। सद्गुरु अपने शिष्य को अपने से भी श्रेष्ठ बनाने की कोशिश करता है। इसी तरह शिष्य को भी गुरु के बताए मार्ग पर चलकर जीवन को सफल बनाना चाहिए।
यह बात पीथमपुर बायपास रोड नैनोद स्थित शंकराचार्य मठ पर मठ के प्रभारी ब्रह्मचारी श्री गिरीशानंद महाराज ने गुरु की महिमा पर व्याख्यान के दौरान कही। वे शारदा एवं ज्योतिष पीठाधीश्वर जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी श्री स्वरूपानंदजी सरस्वती महाराज के 88वें जन्मोत्सव पर आयोजित समारोह में बोल रहे थे। इस अवसर पर शंकराचार्यजी के चित्र एवं पादुकाओं का पूजन-अर्चन किया गया। पीठ पंडित संजय शास्त्री ने मंत्रोच्चार किए। आरती के बाद प्रसाद वितरण हुआ। मठ और पूजा-स्थल को फूलों से सजाया गया था। इस अवसर पर शंकराचार्य भक्त मंडल के सर्वश्री कृष्णा पटेल, प्रतिपालसिंह टुटेजा, निकुंज श्रीवास्तव, जीतू बिजौरिया, गणेश राठौर, राकेश बड़ौदिया आदि ने गुरु भक्ति पर आधारित भजन प्रस्तुत किए।
इंदौर. (31 Aug 2011)
शिष्य के जीवन को प्रकाशमान बनाने के लिए सच्चा गुरु कुम्भकार की तरह व्यवहार करता है। वह शिष्य को अंदर से सहारा देता है लेकिन ऊपर से चोट करता है। इस तरह गुरु एक सुंदर मटके की तरह शिष्य के जीवन को गढ़ता है। सद्गुरु अपने शिष्य को अपने से भी श्रेष्ठ बनाने की कोशिश करता है। इसी तरह शिष्य को भी गुरु के बताए मार्ग पर चलकर जीवन को सफल बनाना चाहिए।
यह बात पीथमपुर बायपास रोड नैनोद स्थित शंकराचार्य मठ पर मठ के प्रभारी ब्रह्मचारी श्री गिरीशानंद महाराज ने गुरु की महिमा पर व्याख्यान के दौरान कही। वे शारदा एवं ज्योतिष पीठाधीश्वर जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी श्री स्वरूपानंदजी सरस्वती महाराज के 88वें जन्मोत्सव पर आयोजित समारोह में बोल रहे थे। इस अवसर पर शंकराचार्यजी के चित्र एवं पादुकाओं का पूजन-अर्चन किया गया। पीठ पंडित संजय शास्त्री ने मंत्रोच्चार किए। आरती के बाद प्रसाद वितरण हुआ। मठ और पूजा-स्थल को फूलों से सजाया गया था। इस अवसर पर शंकराचार्य भक्त मंडल के सर्वश्री कृष्णा पटेल, प्रतिपालसिंह टुटेजा, निकुंज श्रीवास्तव, जीतू बिजौरिया, गणेश राठौर, राकेश बड़ौदिया आदि ने गुरु भक्ति पर आधारित भजन प्रस्तुत किए।