शंकराचार्य मठ में मनी तुलसी जयंती
6-08-2011
इंदौर। गोस्वामी तुलसीदासजी ने भगवान राम के आदर्श चरित्रों को रखकर समाज और देश में मर्यादा में रहने की शिक्षा दी है। रामायण पाठ का फल तभी प्राप्त होता है जब उनके आदर्श चरित्रों को जीवन में उतारें।
यह बात शंकराचार्य मठ (नैनोद) में तुलसी जयंती पर ब्रह्मïचारी गिरीशानंद महाराज ने कही। उन्होंने कहा तुलसीदासजी ने वेद-पुराणों के क्लिष्ट अर्थ को रामचरित मानस के माध्यम से समझाया है। तुलसीकृत रामायण जीवन जीने की कला सिखाती है। इसके पहले मठ में तुलसीदासजी और रामचरित मानस का पूजन कर आरती की गई। शंकराचार्य भक्त मंडल के प्रतिपालसिंह टुटेजा, यौवन पटेल, दरियावसिंह चौधरी, घनश्याम राठौर, जीतू ठाकुर आदि ने व्यासपीठ का पूजन किया।
6-08-2011
इंदौर। गोस्वामी तुलसीदासजी ने भगवान राम के आदर्श चरित्रों को रखकर समाज और देश में मर्यादा में रहने की शिक्षा दी है। रामायण पाठ का फल तभी प्राप्त होता है जब उनके आदर्श चरित्रों को जीवन में उतारें।
यह बात शंकराचार्य मठ (नैनोद) में तुलसी जयंती पर ब्रह्मïचारी गिरीशानंद महाराज ने कही। उन्होंने कहा तुलसीदासजी ने वेद-पुराणों के क्लिष्ट अर्थ को रामचरित मानस के माध्यम से समझाया है। तुलसीकृत रामायण जीवन जीने की कला सिखाती है। इसके पहले मठ में तुलसीदासजी और रामचरित मानस का पूजन कर आरती की गई। शंकराचार्य भक्त मंडल के प्रतिपालसिंह टुटेजा, यौवन पटेल, दरियावसिंह चौधरी, घनश्याम राठौर, जीतू ठाकुर आदि ने व्यासपीठ का पूजन किया।
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